अमृत सरोवर में पानी नहीं,काली मुरूम डाला जा रहा था ग्रामीणों ने काम रूकवाया

पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए सरकारें अलग अलग योजनाओं के तहत कार्य तो करवा रही है पर अब तक नतीजा सिफर ही रहा है मध्यप्रदेश के मंडला जिले में भी इन दिनों अमृत सरोवर योजना के तहत पानी संरक्षण का कार्य तेजी से चल रहा है जितनी तेजी से कार्य को पूरा किया जा रहा है उससे कामों में कई त्रुटि देखी जा रही है अमृत सरोवर योजना में कई अमृत गाथा देखने सुनने को मिल रही है एक गाथा जिले के निवास तहसील में भी देखने को मिलती है जिसमें निर्माण तो हो गया लेकिन पानी की बूंद भी नहीं रोक पाए निर्माण की जल्दबाजी कहें या लापरवाही या फिर भृष्टाचार वजह जो भी हो पर यह अमर गाथा तो लिखी जा चुकी है दरअसल तहसील में कई गांव गर्मी में पानी के भीषण संकट से जूझते हैं जिसमें सरस्वाही पंचायत भी है पानी की समस्या को देखते हुए अमृत सरोवर योजना के तहत छोटे बांध की स्वीकृति हुई

पानी के संकट से दो चार हो रहे लोगों की मनोदशा इस बात से समझा जा सकता है कि निर्माण के लिए शासकीय जमीन न होने की दशा में गांव के पांच किसानों ने अपनी जमीन दान दें दी ताकि पानी को रोक कर मवेशी और सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जा सके गांव वालों ने अमृत सरोवर योजना के तहत बनने वाले छोटे से बांध से अमृत रूपी जल मिलने की आस रखी थी लेकिन लापरवाही ने उनसे यह सपना भी छीन लिया गांव के लोगों ने बताया कि इस छोटे बांध का निर्माण कौन कर रहा है कितनी राशी स्वीकृत है आज तक नहीं पता चला है गांव के लोगों की यह बात कार्यस्थल में लगी खाली शिलान्यास को बल देता है जिसमें स्वीकृत राशि और योजना का नाम तक नहीं है गांव के ही श्याम सिंह ने बताया कि मई से कार्य शुरू हुआ था पहली बारिश मे पानी रूका भी था लेकिन धीरे धीरे पानी खत्म होता गया जब अच्छे से मुआयना किया गया तो पता चला कि बांध के बीच में रिसाव है स्थल निरीक्षण में मंडला कलेक्टर सहित अन्य अधिकारी लोग आए थे तब भी हम लोगों ने शिकायत किया था लेकिन कुछ नहीं हुआ है इस बांध को गौर से देखने से साफ पता चलता है कि मशीनों की सहायता से उसी स्थान में मौजूद पत्थर युक्त मिट्टी मुरूम को खोद कर इस्तेमाल किया गया है जब रिसाव को लेकर हो हल्ला हुआ तो एक बार फिर यहां काम लगा दिया गया है कुछ दिन पहले सुधार कार्य की जानकारी जब ग्रामीणों को लगी तो कार्य स्थल पर पहुंच कर देखा गया जिसमें वाटसशेड विभाग के लोगों व्दारा काली मिट्टी के बदले काली मुरूम डाल रहे थे यह सब देखकर ग्रामीण भड़क गए और लोगों ने हंगामा मचा दिया तुरंत काम को रोक दिया गया है कोई भी तकनीकी का जानकार यहां की मिट्टी देखकर बता देगा कि बगैर काली मिट्टी यंहा पर पानी रोकना मुश्किल है फिर वाटर शैड में काम कर रहे तकनीकी जानकारों को समझ क्यों नहीं आई है अगर पहले ही काली मिट्टी की पीचिंग की जाती तो लाखों रुपए पानी में न बहते वहीं हालांकि विभाग के लोगों का कहना है कि कार्य पूरा नहीं हुआ है तब भी सवाल उठता है कि काम पूरा नहीं हुआ तो बनाई गई दिवार के पास फिर से खुदाई क्यों करवाई गई और उसमें काली मुरूम क्यों भरवाई जा रही थी उससे बड़ सवाल यह है कि आखिर कार्य की गुणवत्ता के जांच के बगैर संबधित विभाग ने भुगतान केसे कर दिया है पूरे मामले में जनपद पंचायत सीईओ दीप्ति यादव ने कहा कि दिल्ली टीम के साथ दौरा किया था तब तक सब ठीक था अब आपसे जानकारी लगी है स्थल निरीक्षण करके देखेंगे कि क्या समस्या है

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