किसी करेंसी की उम्र इतनी कम नहीं होती है जितनी दो हजार रुपए के नोट की हो गई क्योंकि ₹2000 की नोट बंदी का ऐलान हो गया है यह महज एक संयोग है या प्रयोग। इस नोट बंदी का मतलब यह नहीं है कि आज से या रात 12:00 बजे के बाद से बल्कि 30 सितंबर तक आप बैंक में जाकर ₹2000 नोट बदल सकते हैं लेकिन ऐसा भी नहीं है कि आपके पास जितनी बड़ी तादाद में नोट है सब कुछ जाकर एकमुश्त एक तरीके से बदल लेंगे एक बार में सिर्फ 10 नोट ही आप बैंक में जमा करा सकते हैं।
पांच राज्यों के चुनाव के पहले नोटबंदी संयोग ?
पहला सवाल यह मैसेज किसके लिए है दूसरा सवाल साढ़े छः बरस पहले जब नोट बंदी का ऐलान किया गया था तो उस वक्त ब्लैक मनी का जिक्र था और जाली नोटों का जिक्र था और यह कहा गया था कि अब इस पर नकेल कसी जाएगी लेकिन साढ़े छः बरस के बाद जब ₹2000 के बंद होने का ऐलान आरबीआई ने किया है तो ऐसे में एक सवाल यह भी है कि आरबीआई की अपनी रिपोर्ट बताती है कि ₹2000 के तकरीबन एक लाख करोड़ से ज्यादा वैल्यू के नोट सरकुलेशन से गायब है तो क्या वह ब्लैक मनी में तब्दील हो चले हैं और ब्लैक मनी पर नकेल कसने के लिए सरकार के जरिए या आरबीआई के जरिए यह कदम उठाया गया है अगर ऐसा है तो दूसरी तरफ ₹500 के नोट जो है वह भी बड़ी तादाद में सरकुलेशन से गायब और उनकी कुल वैल्यू आठ लाख करोड़ से ज्यादा है तब तो पांच सौ रुपए पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए।
तीसरा सवाल इस दौर में राजनीतिक तौर पर चुनाव के जरिए जो नोट बांटते हैं उसमें बीते दिनों देखा गया कि ₹2000 के नोट की महत्ता रही है राजनीतिक तौर पर विपक्ष की राजनीति 2016 में नोटबंदी के तुरंत बाद खडी हुई थी उस वक्त उत्तर प्रदेश के चुनाव 2017 में थे फरवरी के महीने में चुनाव होने थे और उससे 4 महीने पहले नोटबंदी हुई सवाल यह है कि राजनैतिक दलों को कंगाल बनाने के लिए नोटबंदी हुई थी
राजनीतिक दलों को कंगाल बनाने के लिए या राजनीतिक दलों के पास जो ब्लैक मनी होती है उस पर नकेल कसने के लिए यह पूरी कार्रवाई की गई और अगला सवाल मौजूदा हाल से जुड़ जाएगा इस नोट बंदी को लेकर 30 सितंबर तक का वक्त दिया गया है उसके ठीक बाद ही अक्टूबर के महीने में नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा मध्य प्रदेश के चुनाव राजस्थान के चुनाव छत्तीसगढ़ के चुनाव और उसके बाद रास्ता तेलंगना से होते हुए 2024 के लोकसभा चुनाव तक जाएगा और में ₹2000 के नोट क्या गायब हो गए हैं या ब्लैक मनी की शक्ल में है या बड़ी तादाद में पॉलिटिकल पार्टियों ने अपने पास रखे हुए हैं।
एक लाख करोड़ के नोट गायब थे
आरबीआई चार जगहों पर नोट छापती है नासिक महाराष्ट्र, देवास मध्य प्रदेश , मैसूर कर्नाटक ,सालमनी पश्चिम बंगाल नोट छपने के बाद अन्य 19 शहरों में आरबीआई की करेंसी जारी होती है और इसके अलावे जो शेड्यूल बैंक है उसके जरिए भी जो उसके अलग-अलग ब्रांच है वह तकरीबन 3054 है दो हजार के नोट को 2019 से ही धीरे धीरे छापना बंद कर दिया गया था और जितने भी नोट छपे वे 2016 में ही छपे
जिनकी तादाद कुल करेंसी के 50 फीसदी हिस्सा था। 2016-17 में 350 करोड़ नोट छापे गए 2017-18 में 15 करोड़ नोट छापे गए 2018-19 में तकरीबन 4करोड 70 लाख नोट छापे गए कुल मिलाकर 370 करोड़ नोट छापे गए इनमें से 102 करोड़ नोट खराब होने के चलते आरबीआई ने नष्ट कर दिया बचते हैं 268 करोड़ नोट जिनकी कुल वेल्यू ट्रांजैक्शन में 5 लाख 36 हजार करोड़ की थी सवाल यह कि क्या इतने नोट सरकुलेशन में थे
आरबीआई के अनुसार बाजार सरकुलेशन से 54 करोड नोट गायब थे जिसकी वेल्यू 1 लाख 8 हजार करोड़ की है बीते सालों में देश के किसी भी हिस्से में किसी नेता या अधिकारी के घर में अवैध नोट मिले है तो वो नोट थे दो हजार के नोट के 2016 में जब इन्हें लाया गया था तब कहा गया था कि भृष्टाचार से निजात दिलाएगा पर हुआ उल्टा
नोट :- वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेई की रिपोर्ट के आधार पर
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