आजादी पाने के बाद लागू किए संविधान से भारत ने अपनी स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों को एक मजबूत आधार दिया,संविधान ही है जो हर एक व्यक्ति और संस्थाओं को अधिकार देता और राज्य के प्रति कर्तव्य भी सिखाता है। नागरिकों को संविधान की जानकारी देने के उद्देश्य से संविधान दिवस (constitution day) मनाने की शुरुआत 2015 से शुरू की गई इससे पहले इस दिन को राष्ट्रीय विधि दिवस के नाम से मनाया जाता रहा है। constitution day स्वतंत्रता, समानता, भाइचारे के मूल्यों को बल देता है।
आजादी मिलने के बाद संविधान को 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने अपनाया था इसके कुछ वक्त बाद ही 26 जनवरी 1950 को लागू कर दिया गया था इस दिन को हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं चूंकि संविधान सभा ने 26 नवंबर को संविधान को अंगीकार किया इसलिए दुनिया के सबसे लंबा लिखित संविधान और इसके निर्माताओं को नमन करने के साथ साथ नागरिकों के बीच संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए हर साल नवंबर के 26 वें दिन को ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाने के लिए भारत सरकार ने 19 नवंबर 2015 को निर्णय लिया।

संविधान दिवस ,सभा का इतिहास कैसे हुई शुरुआत
भारत में संविधान सभा का अपना इतिहास है विकिपीडिया के अनुसार पहली बार संविधान सभा की मांग बाल गंगाधर तिलक ने 1895 में उठाई थी। 1925 में महात्मा गांधी के अध्यक्षता में कामनवेल्थ आफ इंडिया बिल प्रस्तुत किया गया था जो भारत में संविधानिक प्रणाली प्रस्तुत करने का पहला प्रयास था जबकि अंतिम बार जवाहरलाल नेहरू ने 1938 में संविधान सभा बनाने का निर्णय लिया था।
संविधान सभा में कितनी समिति और सदस्य थे
भारत में संविधान सभा की स्थापना 6 दिसंबर 1946 को हुई थी संविधान निर्माण के लिए 22 समिति बनाई गई थी इन 22 समितियों में 8 प्रमुख समिति थी और शेष छोटी और उपसमिति थी ये समितियां अपने आप में संप्रभु संस्था थी जिन्होंने मिलकर देश के लिए राजनैतिक निकाय का मसौदा तैयार किया संविधान सभा में मौजूद इन 22 समितियों में प्रांतों से 229 सदस्य और राज्य से 70 सदस्य थे।
प्रमुख समिति के नाम
मसौदा समिति – बाबासाहेब आंबेडकर
केन्द्रीय ऊर्जा समिति – जवाहरलाल नेहरू
केन्द्रीय घटना समिति – जवाहरलाल नेहरू
प्रान्तीय घटना समिति – वल्लभभाई पटेल
मूलभूत अधिकार, अल्पसंख्यक, आदिवासी और अपवर्जित क्षेत्रों की सलाहकार समिति – वल्लभभाई पटेल
मूलभूत अधिकार उपसमिति – जे॰ बी॰ कृपलानी
अल्पसंख्याकांची उपसमिति – हरेन्द्र कुमार मुखर्जी
उत्तर-पूर्व सीमान्त आदिवासी क्षेत्र उप-समिति – गोपीनाथ बोरदोलोई
वगळलेले आणि अंशतः वगळलेले क्षेत्र (आसाम के अतिरिक्त) उपसमिति – ठक्कर बापा
प्रक्रिया समिति के नियम – राजेंद्र प्रसाद
राज्य समिति – जवाहरलाल नेहरू
सुकाणू समिति – राजेंद्र प्रसाद
राष्ट्रीय ध्वज तदर्थ समिति – राजेंद्र प्रसाद
संघटन कार्य समिति की बैठक – गणेश वासुदेव मावलणकर
सभा समिति – पट्टाभि सीतारमैया
भाषा समिति – मोटूरि सत्यनारायण
व्यवसाय समिति के आदेश – कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी
राज्य समिति -गणेश वासुदेव मावलंकर
संविधान दिवस का महत्व केवल एक ऐतिहासिक घटना का स्मरण भर नहीं है, बल्कि यह हमारे मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता को पुनः जागृत करने का अवसर है।, संविधान सभा के सदस्यों द्वारा तैयार किया गया यह न केवल विधिक ढांचे का प्रतीक है, बल्कि विविधता में एकता की भावना को मजबूत करने का आधार भी है।
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