लंबा रास्ता तय नहीं कर पा रही योजनाएं,कुंड का गंदा पानी पी रहे ग्रामीण

एक तरफ देश 74वां गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास से मना कर अपने आपको विज्ञान तकनीक और विकास के नये सोपान चढ़ने का संदेश दे रहा रहा था तो दूसरी तरफ देश के वो ग्रामीण क्षेत्र जंहा लंबा रास्ता तय नहीं कर पा रही योजनाएं,कुंड का गंदा पानी पी रहे ग्रामीण बड़ी आबादी रहती है वंहा गले को तर करने लिए अभी तक साफ पानी भी नहीं मिल सका है ग्रामीणों व्दारा आज भी उस स्थान का पानी इस्तेमाल किया जा रहा है जंहा न तो कोई सोच सकता और न ही पी सकता

किसी बड़े शहर में रहने वाले लोग यहां मिलने वाले पानी को देखकर पीना तो छोड़ ही दें देखकर मुंह सिकोड़ने लगेंगे दरअसल हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के आदिवासी जिला मंडला की यहां के एक तहसील निवास में कितना विकास हुआ है इसकी बानगी यंहा पर मौजूद ग्राम पंचायत सतपहरी के पोषक गांव चौरादादर में देखने को मिलती है 74 साल में लोगों को स्वाच्छ पानी भी नसीब नहीं हो पाया है दरअसल इस गांव में एक प्राकृतिक कुंड है जिसमें बारहो माह झिर से पानी निकलता है इसी पानी को इस गांव के लोग पीने और अन्य निस्तार के लिए इस्तेमाल करते हैं सबसे बड़ी विडंबना यह है कि यहां पर पानी का कोई और स्रोत नहीं है जिसके कारण मवेशी भी यही से पानी पीते हैं ,पानी गंदा होने के कारण अब यहां लोगों ने बगल में छोटा सा टेंक बनाया है जिसमें कुछ साफ पानी झिर कर एकत्रित होता है जिसे लोग इस्तेमाल करते हैं हालांकि कहने को एक किमी दूर एक कुंआ है वो भी गर्मी में जवाब दे जाता है

लंबा रास्ता तय नहीं कर पा रही योजनाएं,कुंड का गंदा पानी पी रहे ग्रामीण

मनरेगा और न जाने कितनी योजनाएं पानी को लेकर चल रही है लेकिन जिले के इस अंतिम गांव तक पहुंचते पहुंचते थक कर रास्ते में ही दम तोड देती है जिले के इस गांव में पानी की व्यवस्था के लिए अब तक किसी ने कोई जहमत नहीं उठाई है यहां पर रहने वाले ग्रामीण हरिपाल का कहना है कि पानी गंदा जरूर दिख रहा है मगर हमारे इस गांव के लोगों को जीवन दे रहा है अभी तो बहुत पानी है देखना है तो मई माह खत्म होने के समय आकर देखिए कटोरी से पानी भरते हैं हालांकि अभी इस से लोग आसपास के खेतों में कुंड से कुछ सिंचाई कर रहे हैं गांव के लोगों ने बताया कि पाइप बिछाने का काम हुआ था जो मुख्य मार्ग तक पहुंचते ही रूक गया है अभी तक किसी ने हमारी इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया है

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