मध्यप्रदेश के आदिवासी जिला मंडला में विभाग किस हद तक लोगों को परेशान करते हैं इसकी बानगी दिखी यंहा के ककैया खरीदी केंद्र में ज़हां पर धान बैचने वाला किसान खरीदी केंद्र का चक्कर लगाते लगाते थक गया लेकिन उसका भुगतान नहीं हुआ जिससे परेशान किसान खरीदी केंद्र में रस्सी लेकर पहुंचा और वहीं आत्महत्या करने की बात कही। किसान के हित में रस्सी देखकर खरीदी केंद्र प्रभारी के भी हाथ पैर फूल गए वे और उनके साथियों ने किसान को समझाइश दी कि जल्द उनका भुगतान हो जाएगा किसान रंजीत पटैल का कहना है कि ढाई माह पहले उसने धान बेचा था जिसका दो लाख पच्चास हजार से अधिक राशी उसे मिलना है लेकिन अब तक कोई भी भुगतान नहीं हुआ है खरीदी केंद्र का चक्कर लगा कर परेशान हूं मुझे प्रताणित किया जा रहा है जिससे परेशान होकर रस्सी लेकर खरीदी केंद्र पहुंचा था मामले में खरीदी केंद्र प्रभारी का कहना है कि सभी किसानों के खातों में डीएससी के जरिए भुगतान किया जाता है किसान के खाते में तकनीकी समस्या है इसलिए भुगतान नहीं हो पा रहा है खरीदी केंद्र में ऐसे 26 से ज्यादा किसान है जिनके खाते में समस्या है समस्या का निराकरण जल्दी किया जाएगा
धरे रह गए वादे नहीं खुल सकी कृषि मंडी
निवास में 2012 -13 में तत्कालीन कृषि मंत्री ने स्थानीय गेस्टहाऊस में कृषि मंडी की घोषणा किए थे तकरीबन एक दशक हो गए हैं अभी तक इस घोषणा का क्या हुआ पता तक नहीं चला है भौपाल से छोड़िए कोई भारत के पड़ोसी देश से भी पैदल चला होता तो एक दशक में निवास पहुंच जाता लेकिन कृषि मंडी नहीं पहुंच पाई है यूं तो एक दशक में सोसल मीडिया में दर्जनों बार आदेश पत्र को वायरल किया गया है मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि शासकीय जमीन नहीं मिल पा रही है तो कुछ लोगों का कहना है कि निवास क्षेत्र में कृषि उस तरीके से नहीं होती है बाहर के लोग यहां नहीं आ पाएंगे जिसकी वजह से यह मामला खटाई में पड़ गया है और अब तो केंद्र सरकार निजी कंपनियों को खरीद के लिए उतार रही है जिससे निवास में कृषि मंडी महज एक स्वपन रह गया है
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