आज मकर संक्रांति है इसे भारतवर्ष में विभिन्न हिस्सों में विभिन्न नामों और विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। मकर संक्रांति त्योहार को सूर्य की उत्तरायण के दिन के रूप में मनाया जाता है। लोग पहले स्नान करते हैं और फिर विभिन्न प्रकार के पर्वीय आहार बनाते हैं।
मध्यप्रदेश सहित यंहा के जिलों में विशेष पर्व के रूप में मनाया जाता है खासकर आदिवासी जिला मंडला में रहने वाले लोग इस दिन के लिए विशेष तैयारी करते हैं जगह जगह भंडारे का आयोजन और यंहा से निकलने वाली पवित्र नदी नर्मदा में चुनरी भेंट की जाती है वहीं दूसरी तरफ घर घर में अलग अलग किस्म के लड्डू भी बनाए जाते हैं मकर संक्रांति के स्नान का मुहूर्त तारीख और स्थान के आधार पर बदल सकता है जो स्थानीय पंचांग या व्रत कलेंडर से यह जानकारी प्राप्त की जा सकती है।आमतौर पर, लोग सूर्योदय के बाद स्नान करने को प्राथमिकता देते है।
क्या है मकर संक्रांति
मकर संक्रांति हिन्दू पंचांग में महत्वपूर्ण है,और इसे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के एक विशेष समय के रूप में मनाया जाता है। इसे हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण सौर महोत्सव माना जाता है।मकर संक्रांति को उत्तरायण का प्रारंभ भी कहा जाता है, जिसका मतलब है कि सूर्य दक्षिण से उत्तर की दिशा में चलने लगता है।
इस दिन सूर्य का यह चलन सूर्य की उर्जा में वृद्धि को सूचित करता है और सर्दी के मौसम का समाप्ति होता है, जिससे ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होती है।मकर संक्रांति पर लोग भगवान सूर्य की पूजा करते हैं और स्नान करते हैं, जिससे शुभता और पुनर्जन्म की आशा की जाती है। यह एक सामाजिक और पारंपरिक त्योहार है जो बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी आसमान पर उड़ते पतंग उड़ाने का समय भी होता है।
स्नान के फायदे
मकर संक्रांति में स्नान का महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक सांस्कृतिक महत्व है। यहां कुछ लाभ हैं जो इस मौके पर स्नान से हो सकते हैं:
- आध्यात्मिक पुरिफायर: सूर्योदय के समय स्नान करने से आध्यात्मिक दृष्टि बढ़ सकती है और मानव जीवन को एक नए उत्थान की दिशा में प्रेरित कर सकती है।
- स्वास्थ्य लाभ: सूर्य की किरणों का सीधा संपर्क त्वचा के लिए लाभकारी हो सकता है, जिससे विटामिन डी की उत्पत्ति होती है।
- मानव संबंध: इस अवसर पर परिवार के सभी सदस्यों के साथ स्नान करना सामूहिकता और मानव संबंधों को मजबूत कर सकता है।
- शुभ संकल्प: स्नान के दौरान मन को शुद्ध करने का प्रयास किया जा सकता है, जिससे शुभ संकल्प बनाए रखने में मदद हो सकती है।
- आर्थिक सफलता: विभिन्न स्थानों पर स्नान के तीर्थस्थलों में जाने से आर्थिक और सामाजिक लाभ हो सकता है, क्योंकि यहां लोग धार्मिक कार्यों में भाग लेते हैं और समृद्धि की कामना करते हैं।
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