नन्हें नन्हे पैर , हाथों में छोटी से लाठी तेजी से बढते कदम , सडक पर चलते इस नन्ही बच्ची को जो भी देखता है एक बार ठहर कर सोचता जरूर है कि जिस उम्र में शरारते और खेल कूद में बच्चों का ध्यान लगा रहता है उस उम्र में ये नन्ही परि परिक्रमावासियों के साथ कदम से कदम मिला कर चल रही हम बात कर रहे हैं नन्ही श्रुति की मप्र के अमरकंटक से निकली नर्मदा नदी को पौराणिक नदी की मान्यता है ये ज़हां ज़हां से गुजरती है वहां के लोग मां का दर्जा देकर पूजते हैं कई राज्यों के लोग अपनी मन्नत पूरी करने इस नर्मदा नदी की परिक्रमा करते हैं 1312 किमी की पद परिक्रमा किसी तप से कम नहीं माना जाता ऐसे में आस्था से ओतप्रोत लोग जब नन्ही बालिका को परिक्रमा करते देखते हैं तो पैरों पर गिरकर आशिर्वाद लेने में लग जाते है
महाराष्ट्र के ढुलिया के रहने वाले भीम सिंह राजपूत के घर की छः वर्ष की नन्ही श्रुती का परिवार अध्यात्म को बहुत मानता है उसके परिवार में नर्मदा परिक्रमा की चर्चा चली श्रुति की बुआ और मां के साथ एक अन्य सदस्य के साथ नर्मदा परिक्रमा में निकलने की तैयारी चल रही थी तब अचानक श्रुति परिक्रमा में जाने जिद पर अड गई श्रुती की मां ने बताया कि उन्हे लगा कि एक दो दिन में श्रुती वापिस लौट जाएगी मगर उन्हें खुद अचरज है कि बच्ची उनके साथ साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है दो माह पहले 9 अक्टूबर को ओंकारेश्वर से परिक्रमा शुरू हुई थी जो अब मंडला जिले से निकलकर डिंडोरी में प्रवेश कर चुकी है सैंकड़ों किमी का यह पद परिक्रमा किसी अचरज से कम नहीं
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