मध्यप्रदेश की सबसे पुरानी तहसीलों में से एक निवास हूं मैं, अब मेरे पास सिर्फ पुरानी तहसील होने का तमगा बस बचा है मेरे पास जो कुछ था वो चाटुकार नेता और यहां के अंसवेदनशील जनप्रतिनिधियों की ख़ामोशी ने मुझसे छीन लिया जो सिर्फ अपनी जेब और घर का विकास करते रहे हां निवास हूं में ,कभी तहसील का विखंडन ,तो कभी विभागों को उठाकर भेजने की प्रक्रिया हमेशा चलती रही जितना दिया उससे ज्यादा छीना है मुझसे हां पुरानी तहसील हूं में मेरी माटी से निकल कर लोग अपना विकास करते रहे और मैं अपनी बर्बादी पर आंसू बहाता रहा हां निवास हूं में –——- उक्त पंक्तियां एक नए उभरते रचनाकार ने मध्यप्रदेश की सबसे पुरानी तहसील की दुर्गति पर लिखा है जो जमीनी सच्चाई को बयां करती है प्रदेश की पहली तहसील हैं ज़हां पर एक विभाग ऐसा भी है ज़हां से कर्मचारियों और अधिकारियों का स्थानांतरण होने के बदले कोई दूसरा आता नहीं है आमतौर पर नियम है कि एक जाता है तो उसके बदले कोई आता है पर इस विभाग में यह नियम तो नहीं दिखता है हम बात कर रहे जलसंसाधन विभाग की
मध्यप्रदेश में मौजूद एक ऐसी तहसील और उसका एक ऐसा विभाग है ज़हां से कर्मचारी और अधिकारी का स्थानांतरण तो होता है मगर उसके बदले वंहा कोई पंहुचता नहीं मंडला जिले की तहसील में मौजूद जलसंसाधन विभाग जो कभी जिले में सबसे चर्चित विभाग हुआ करता था आज यहां सिर्फ खण्डर बचा है कहने को विभाग संचालित हो रहा है मगर भगवान भरोसे गाड़ियों से लेकर भवन तक खण्डर में तब्दील हो चुके हैं कुछ साल पहले यहां एक कार्यपालन यंत्री दो एसडीओ 26 उपयंत्री हुआ करते थे जो तीन ब्लाकों के कार्य संभालते थे आज तीन ब्लाकों में मौजूद 27 बांध और उनमें बने 150 किमी के लगभग की नहर का जिम्मा महज एक उपयंत्री पर है वर्तमान में 30 से ज्यादा चौकीदारों की आवश्यकता है मगर बारह चौकीदार ही है विभागीय सूत्र बताते हैं कि 2013 में यहां से एक सब डिवीजन को राहतगढ़ स्थानांतरित कर दिया गया और उसके बाद एक एक कर सब इंजीनियर अपना स्थानांतरण करा कर जाते रहे कोई भी उनके बदले नहीं आया
स्टाप की कमी से ज़हां रखरखाव और बांधों की निगरानी में दिक्कत हो रही तो वहीं नहरों में आए दिन रिसाव की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है एक उपयंत्री तीन ब्लाकों में एक समय में केसे देखरेख कर सकता है यह समझना मुश्किल नहीं है सबसे ज्यादा नुक्सान किसानों को उठाना पड़ा है आए दिन कहीं न कहीं से शिकायत आ जा रही है कि नहर का पानी खेतों में भर गया निवास में मौजूद मझगांव बांध की नहर में भी यही हुआ दर्जनों किसानों की फसल बर्बाद हो गई जब तक उपयंत्री पहुंचे तब तक सब कुछ खराब हो गया था इस मामले में लगातार पत्राचार करने वाले आंनद पाठक ने बताया कि उनके व्दारा लगाया इस बात का विरोध किया गया था कि यहां से लगातार इस विभाग को स्थानांतरित किया जा रहा है स्थानीय जनप्रतिनियों की चुप्पी से भयाभय नतीजे देखने को मिल रहे हैं विभाग तो खत्म हो ही रहा है जो काम चल रहे थे वो भी बंद हो चुके हैं उदाहरण गौर बांध है
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