चिमनी के सहारे गांव , विकास को रहा चिढ़ा

मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला में सरकार विकास के चाहे जितने भी दावा करे लेकिन जमीनी हकीकत दावे से बिल्कुल जुदा है इसकी एक बानगी, जिला मुख्यालय से 80 किलोमीटर दूर मवई विकासखंड अंतर्गत जिले की ग्राम पंचायत देवरीदादर के नदीटोला और टिकराटोला में 45 घर के परिवार आजादी के 75 साल बाद भी अंधेरे में रहने को है मजबूर, आज भी इस गांव के लोग बिजली और सड़क जैसी बुनियादी चीजों के लिए तरस रहे हैं देवरीदादर यह एक ऐसा गांव है जहां अभी तक बिजली नहीं पहुंच पाई है, जिले में ऐसे सैंकड़ों छोटे टोले हैं ज़हां लोग आज भी अंधेरे में रह रहे है ग्रामीणों ने बताया कि हमारे गांव में पैदल रास्ता तक नहीं बन पाया है

ग्रामीण बिहारी सिंह तेकाम का कहना है कि देवरीदादर के गांव में विद्युतीकरण के लिए विभाग द्वारा खंबे लाए गए थे पर अब तक इन ख़बरों में बिजली तार नहीं लगाई गई है ग्रामीणों ने बताया कि जब विभाग खंबे गड़वा रहा था तब ग्रामीणों ने मदद की थी पर आज वर्षो बीत जाने पर भी विद्युत विभाग के द्वारा ना तार लगाई जा रही है और ना ही बिजली की कोई व्यवस्था की जा रही है चिमनी और लालटेन जलाकर बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर हैं ग्रामीणों का जीवन चिमनी के सहारे गुजार रहा है सड़कों की हालत भी खस्ता हाल है बरसात में ग्रामीण कीचड़ से सने हुए रोड में चलने को मजबूर है मयंक चौरसिया (कार्यपालन यंत्री) का कहना है कि ग्राम पंचायत देवरीदादर में पूर्व में सौभाग्य योजना के अंतर्गत खंभे लगाए गए थे जो किसी कारणवश कार्य पूरा नहीं हो पाया है उक्त कार्य हमारे संज्ञान में आया है कार्य पूरा नहीं हो पाने को लेकर हमने अपने विभाग प्रमुख और शासन को पत्र लिखा है वर्तमान में ऐसी कोई योजना नहीं है जिसको लेकर इस कार्य को पूरा किया जा सके जैसे ही हमारे विभाग प्रमुख से कोई मार्गदर्शन आता है नियमानुसार कार्य पूरा कराया जाएगा

चिमनी के सहारे गांव , विकास को रहा चिढ़ा

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