भारतीय गूसबेरी को आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधि मानी जाती है। यह एक ऐसा फल है,जिसे ‘सुपरफूड’ कहा जा सकता है और इसकी हिंदू पूजा में महत्वपूर्ण स्थान मिला हुआ है हिन्दू मान्यता के अनुसार इस इस वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु और लक्ष्मी निवास करते हैं भारतीय गूसबेरी को जानते हैं इसमें विटामिन C, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट,एंटीऑक्सीडेंट्स सहित और कई जरूरी पोषक तत्व होते हैं, जो इसे स्वास्थ्य के लिए वरदान बनाते हैं। कभी तुलसी पौधे के साथ इस वृक्ष को हर घर में लगाया जाता था किन्तु आज के भागमभाग लाइफस्टाइल में इस तरह के लाभकारी औषधि फल का सेवन बेहद कम हो गया है।
भारतीय गूसबेरी को कई नामों से जाना जाता है स्वास्थ्य के लिए लाभकारी
आज के समय में मिलावटी खाद्य पदार्थ के सेवन से लगातार हमारे स्वास्थ्य में गिरावट आ रही है जिसके कारण जीवन में की जा कमाई का बड़ा हिस्सा अपने स्वास्थ्य को संभालने में खर्च हो रही है स्वास्थ्य में गिरावट का बड़ा कारण हमने अपने ग्रंथों में बताए औषधि फलों के सेवन से दूर कर उन खाद्य पदार्थों को जगह दी जो स्वाद में अच्छे हैं पर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ऐसी परिस्थिति में बेहद जरूरी हो गया है कि आर्युवेद में बताए गए उस फल को अपने आहार में जगह दे जिसे हम गूसबेरी कहते हैं। भारतीय गूसबेरी को जानते है, इसे आमलकी के नाम से भी जानते हैं जो इंसानों के स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होता है विटामिन C ,क्रोमियम, मेटाबोलिज्म, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी ऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा वाले गूसबेरी, हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है।
आंवला में फाइबर होता है, जो पाचन में सहायक होता है। यह कब्ज़ की समस्या को दूर करता है और आंतों की सफाई में मदद करता है। आंवला गूजबेरी में क्रोमियम होता है, जो इंसुलिन की सक्रियता को बढ़ाता है। इससे शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है, जिससे डायबिटीज के मरीजों को लाभ हो सकता है। यह लगातार बढ़ रहे वजन को कम कम करने में मददगार होता क्योंकि आंवला मेटाबोलिज्म को तेज करता है, जिससे कैलोरी बर्न होती है और वजन नियंत्रित रहता है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में भी मदद करता है, जिससे वजन घटाने की प्रक्रिया आसान हो जाती है। आंवला गूजबेरी का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर संतुलित रहता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स हृदय को स्वस्थ बनाए रखते हैं और दिल की बीमारियों का खतरा कम करते है
औषधीय क्षेत्र में बढ़ती मांग से इसकी खेती लाभदायक
भारत में सबसे अधिक दवा कंपनी है इनमें आर्युवेदिक दवा बनाने वाली कंपनी भी है जिससे इन औषधि युक्त फलों की मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है बंजर पड़ी भूमि में इस औषधि फलों वाले भारतीय गूजबेरी को लगाकर लाभ का धंधा बनाया जा सकता है भारत में आंवला के स्वास्थ्य लाभों को देखते हुए आयुर्वेदिक और फार्मास्यूटिकल कंपनियों में आंवला की मांग काफी बढ़ रही है। इन कंपनियों के साथ साझेदारी करके किसानों को अपनी उपज को उचित मूल्य पर बेचने का मौका मिल सकता है। आंवला पाउडर, आंवला जूस, और आंवला का मुरब्बा एक्सपोर्ट मार्केट में काफी लोकप्रिय हैं कंचन’, ‘NA-7’, ‘चकैया’, और ‘कृष्णा’ जैसी उन्नत किस्में भारत में प्रसिद्ध हैं और इनके उत्पादन में वृद्धि की संभावना भी अधिक होती है।आंवला की खेती के लिए दोमट और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी सबसे अच्छी होती है। यह गर्म और शुष्क जलवायु में बेहतर होता है, क्योंकि आंवला के पौधे सूखे और उच्च तापमान को सहन कर सकते हैं। अगर सही भूमि और जलवायु में खेती की जाए, तो पौधों का विकास अच्छा होगा और उत्पादन भी बढ़ेगा। बाजार में इसकी कीमत चालीस से पचास रूपए किलो है
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