धनतेरस 2024 इस बार 28 अक्टूबर को मनाई जाएगी। धनतेरस के दिन एक परंपरा सदियों से चली आ रही है वो है झाड़ू खरीदना आखिर धनतेरस में लोग कुछ भी न ले मगर झाड़ू खरीदना नहीं भूलते हैं गांवों के लोग बर्तन चांदी खरीदें न खरीदें मगर झाड़ू खरीदना नहीं भूलते हैं। धनतेरस, दिवाली के पांच दिवसीय पर्व की शुरुआत का प्रतीक है और इस दिन को धन के देवता कुबेर और आयुर्वेदाचार्य धन्वंतरि की पूजा के लिए समर्पित माना जाता है। इस दिन कई धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराएँ निभाई जाती हैं, जिनमें सोने, चांदी, बर्तन और झाड़ू खरीदने का विशेष महत्व है।
धनतेरस 2024: झाड़ू खरीदने की परंपरा
धनतेरस के दिन खरीदने की परंपरा कई घरों में देखी जाती है, जिसे शुभ और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसके पीछे धार्मिक और व्यावहारिक दोनों कारण छिपे हैं।हिंदू मान्यता के अनुसार, झाड़ू घर की सफाई और शुद्धि का प्रतीक है। धनतेरस पर नई झाड़ू खरीदकर घर में गंदगी और नकारात्मकता को दूर करने की मान्यता है, जिससे घर में मां लक्ष्मी का वास होता है। झाड़ू को धन की देवी लक्ष्मी से जोड़कर देखा जाता है और इसे खरीदने से घर में लक्ष्मी का वास बना रहता है। मान्यता यह भी है कि शुक्रवार के दिन झाड़ू खरीदने से भी लाभ होता है।
धनतेरस की मान्यता
धनतेरस को ‘धन त्रयोदशी’ भी कहा जाता है, जो कार्तिक महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन को ‘धन’ और ‘तेरस’ शब्दों से मिलकर बनाया गया है, जहां ‘धन’ का अर्थ संपत्ति और ‘तेरस’ का अर्थ तेरहवां दिन होता है। इस दिन सोना, चांदी और अन्य मूल्यवान वस्तुएं खरीदने की परंपरा है, जिसे समृद्धि और शुभता का प्रतीक माना जाता है।
नकारात्मक ऊर्जा का नाश:
झाड़ू को नकारात्मक ऊर्जा और दुर्भाग्य को दूर करने का साधन माना जाता है। यह मान्यता है कि धनतेरस के दिन नई झाड़ू लाने से घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जाएं खत्म हो जाती हैं, जिससे परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
व्यवहारिक दृष्टिकोण:
धनतेरस का पर्व स्वच्छता और शुभता से जुड़ा होता है। दिवाली से पहले घर की सफाई और सजावट की जाती है, और झाड़ू इसका एक अहम हिस्सा होती है। नई झाड़ू से घर की सफाई करने से त्योहार के दौरान पवित्रता बनी रहती है।
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