गौर करें साहब, गौर का बांध —

सोन ने निकाला बांध का भद्रा,

छः वर्षों से चल रहा कछुआ गति से काम,कंपनी ने भी हाथ खींचा
मंडला जिले के निवास मुख्यालय में 34 करोड़ों की लागत से बन रहा बांध पांच साल में भी पूर्ण नहीं हो पाया है वर्ष 16/17 में स्वीकृत इस बांध को 17 / 18 में पूर्ण हो जाना था सोनभद्र कंट्रक्शन को इस बांध को बनाने का ठेका मिला हुआ था निर्माण काल में ही इस कंपनी और सहयोगीयों में आपसी झगडे ,वन विभाग और जलसंसाधन विभाग में तालमेल की कमी ,और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता का खमियाजा यंहा के किसानों से लेकर नगर के लोगों को उठाना पड़ रहा है ज़हां बांध निर्माण से बड़े हिस्से की जमीन संचित होती तो नगर को पानी की समस्या से मुक्ति मिलती

निवास से तीन किलोमीटर दूर गौर नदी में बांध और नहर का निर्माण होना था निर्माण के पहले जलसंसाधन विभाग और वन विभाग ने संयुक्त रूप से स्थल और वन भूमि में आने वाले पेड़ो का सर्वेक्षण किया गया लेकिन वन विभाग को नए स्थान में जमीन का एलाटमेंट , 1100 पेड़ो की राशी और केंद्रीय वन मंत्रालय की सहमति के बिना ही जलसंसाधन विभाग ने यहां पर कार्य शुरू कर दिया इस लापरवाही का नतीजा यह हुआ कि वन विभाग और जल संसाधन विभाग में टकराव शुरू हो गया वन विभाग एक के बाद एक नोटिस जलसंसाधन विभाग और ठेका कंपनी को कभी क्रेसर के नाम से तो कभी उसकी जमीन पर कार्य न करने की देने लगा कार्य दो माह चलता और सालों बंद रहता कछुआ गति से जेसे तेसे वाल तैयार हुई लेकिन कार्य जेसे ही वन क्षेत्र में पंहुचा वन विभाग ने पूर्णतः बंद करा दिया गया तकरीबन एक वर्ष बाद केंद्रीय वन मंत्रालय की इजाजत मिली

क्षेत्र के कामों पर उदासीनता —–क्षेत्र के ऊपरी भाग को सिंचित करने के लिए बनी बहुउद्देशीय परियोजना को यहां के नेताओं से लेकर जनप्रतिनिधियों तक ने नजर अंदाज किया है जिसका परिणाम हुआ है कि मनमाने तरीके से काम किया गया पहले इस प्रोजेक्ट में लगे इंजीनियर अपना स्थानांतरण करा कर भागे और अब जानकारी लगी रही है कि इस कार्य को कंपनी ने भी हाथ खींच लिया है साफ है अब एक बार फिर इस कार्य में टेंडर जारी होंगे पर बड़ा सवाल यह है कि कब जारी होंगे और यह कब बन के तैयार होगा

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