बांध को लेकर लोग सड़क में , विस्थापन का डर

मध्यप्रदेश के मंडला जिले में बांध निर्माण से पूर्व ही बांध का विरोध शुरू हो गया है बासनिया बांध में प्रभावित होने वाले लोगों ने पेसा एक्ट का हवाला देकर सरकार को चेताया है कि आप अपने ही बनाए नियमों को दरकिनार कर रहे है पूरे मामले को लेकर राजनैतिक दल भी मैदान में हैं जिस विधानसभा में बांध का निर्माण होना है वहां पर विरोध हो रहा है जबकि एक अन्य ब्लाक के लोग सिंचाई सुविधाओं के लिए नर्मदा जल लाओ मुहिम चला रहे है इसको लेकर भी आंदोलन होते रहें है एक ही विधानसभा के दो क्षेत्रों में दो तरह की आवाज़ मुखर है

बांध के विरोध में उतरे लोग

मामला मंडला जिले के मोहगांव ब्लाक का है यहां पर नर्मदा नदी में बांध का निर्माण होना है नर्मदा विकास प्राधिकरण से 2884 करोड़ के लगभग की स्वीकृति मिली है उक्त बांध के निर्माण से पहले ही इसका विरोध शुरू हो गया है जिला मुख्यालय में बड़ी तादाद में लोग एकत्रित होकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम पर ज्ञापन सौंपकर मांग की गई है कि इस बांध निर्माण को निरस्त किया जाए कांग्रेस के विधायक डा अशोक मर्सकोले भी इस विरोध में उतर गए हैं माना जा रहा कि उन्हीं की रणनीति से यह विरोध आंदोलन शुरू हुआ है बांध का विरोध कर रहे लोगों का आरोप है कि बांध से 100 मेगावाट बिजली उत्पादन और 9000 हेक्टेयर के लगभग सिंचाई होगी इसके बदले 2107 हेक्टेयर वन भूमि,1793 हेक्टेयर शासकीय भूमि और 2443 कृषि भूमि पानी में डूबे जाएगी जो लाभकारी कतई नहीं है वर्तमान में जो सर्वे हुआ है टोपोशीट से हुआ है जबकि प्रत्यक्ष सर्वे नहीं हुआ है अगर प्रत्यक्ष सर्वे होगा तो विस्थापितों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी

बसनिया बांध के निर्माण में मंडला जिला के 18 गांव और डिंडोरी जिले के 13 गांव प्रभावित होंगे जबकि विस्थापित होने वाले लोगों की अगुवाई कर रहे लोगों का कहना है कि प्रत्यक्ष सर्वे नहीं किया गया है अगर प्रत्यक्ष सर्वे हो जाए तो गांवों की संख्या बढ़ जाएगी फिलहाल शासन 2735 परिवारों को विस्थापित होने की बात कर रहा है लेकिन यह संख्या बढ़ने की पूरी उम्मीद जताई जा रही है दूसरी ओर निवास ब्लाक में नर्मदा संघर्ष समिति वर्षों से मांग कर रही है कि कुटरई गांव से नर्मदा जल इस क्षेत्र में लाया जाए देखना होगा कि शासन किस आवाज को ज्यादा महत्व देता है

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