मंडला की बदहाल व्यवस्था ने छात्रा को पहुंचा दिया चिता तक

मंडला जिले के एक शासकीय छात्रावास में अध्ययनरत दसवीं की छात्रा की इलाज के दौरान नागपुर अस्पताल में मौत हो गई है तीन दिन पहले छात्रा को बेहोशी के हालत में शासकीय अस्पताल ले जाया गया था जहां से उसे जबलपुर रिफर कर दिया गया था दो दिन के इलाज के बाद परिवार नागपुर ले कर गया जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

अस्पताल में तीन दिन तक मौत से जंग लग रही शिल्पा आखिरकार रविवार और सोमवार की की दरमियानी रात यह जंग हार गई पेशे से शिक्षक पिता ने जिला की बदहाल व्यवस्था की शिकार अपनी बच्ची को बचाने को हर संभव प्रयास किया मगर बचा नहीं सके।  लापरवाही की इस घटना में बच्ची का पोस्टमार्टम न हो पाए इसके प्रयास भी किए गए बाद में परिवार पोस्टमार्टम के लिए जैसे तैसे तैयार हो गया है।

बदहाल व्यवस्था और छात्राओं की बीमारी

शुक्रवार को जब मप्र के मंडला जिले में 79 वां स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मना रहा था ठीक उसी समय जिले के निवास क्षेत्र के एकलव्य आवासीय छात्रावास पिपरिया में हो रहे कार्यक्रम में एक छात्रा बेहोश हो गई बेहोश छात्रा सहित कुछ छात्राओं को अस्पताल ले जाया गया जहां प्राथमिक उपचार हुआ और एक छात्रा जिसे बेहोशी के हालात में ले जाया गया था उसे जबलपुर रिफर किया गया था। यह सब गुपचुप तरीके से किया गया था।  

बीएमओ विजय पैगवार का कहना है कि लगभग पांच बच्ची आई थी जिनमें से एक बच्ची बेहोश थी जिसे जबलपुर रिफर कर दिया गया उसकी हालत बेहद गंभीर बनी हुई थी सभी को तेज बुखार था शेष को दवाई दिया गया था  शनिवार को स्थानीय लोगों तक फूड प्वाइजनिंग की बात पहुंची हंगामा बरपने के बाद स्वास्थ्य विभाग की जांच टीम छात्रावास पहुंची जहां सोलह बच्चे वायरल इंफेक्शन से पीड़ित पाए गए सभी को जिला मुख्यालय भेज दिया गया।

बुखार से पीड़ित बच्चों को जिला अस्पताल पहुंचाकर जिम्मेदारों ने अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर वाहवाही लूटने की कोशिश की पर इन सब में कई सवाल पीछे छूट गए बेहोश हुई छात्रा की हालत इतनी नाज़ुक कैसे होने दें गई क्या छात्रावास के जिम्मेदार को कुछ भी दिखाई नहीं दिया था कोई भी प्रशासन का जिम्मेदार व्यक्ति जबलपुर क्यों नहीं गया सब कुछ माता पिता के कंधों में डाल दिया गया

इस घटना से एक बात स्पष्ट हो रही है कि राज्य और केंद्र सरकार की गाइडलाइंस का अनुसरण नहीं किया जा रहा है यह भी स्पष्ट है कि छात्रावासों में स्वास्थ्य प्रशिक्षण नहीं हो रहा है और ना ही शिक्षा विभाग में बैठे अधिकारी यहां लगातार जांच में जाते हैं हद तो देखिए अधिक्षक के पति जिसे छात्रावास में घुसने की इजाजत नहीं होनी थी वह यहां जांच में पहुंची टीम के सवालों के जवाब दे रहा था।

बीते तीन दिनों में प्रशासन ने किसी भी व्यक्ति पर कोई कार्रवाई नहीं की है जाहिर है जांच के नाम पर सब कुछ खत्म कर दिया जाएगा।

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