बसों की छत पर प्रदेश का भविष्य

बसों की छतों में स्वर्णिम प्रदेश के बच्चे ,परिवहन विभाग मौन

, चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है यहां स्कूली बच्चे जान पर खेल कर अपना भविष्य बनाने जा रहे हैं यूं तो सोसल मीडिया और मीडिया में नदी नाव से पार करते जैसी तस्वीर वायरल हो चुकी है इस बार यह तस्वीर अलग है

मंदसौर/ जिले के गरौठ क्षेत्र से एक तस्वीर देख आप भी माथा ठोक कर अपने आप से सवाल पूंछ बैठेंगे ये केसा विकास और बच्चों को देती केसी शिक्षा व्यवस्था यंहा स्कूली बच्चे बसों की छत पर बैठकर कई किलोमीटर दूर तक जान पर खेलकर स्कूल पहुंचते है दरअसल यहां के भानपुरा के संधारा गांव में स्कूल न होने के कारण हाई स्कूल के बच्चे दूसरे जगह पढ़ने को जाते हैं ऐसा एक गांव तक सीमित नहीं है कई गांवों के बच्चे बाहर पढ़ने को जाते हैं सबसे ज्यादा लापरवाही यंहा पर चलने वाले बसों के संचालक करते हैं उन्हें ये स्कूली बच्चे बसों में होने वाले धंधे के लिए पनौती से कम नहीं लगते हैं यही वजह है कि ये बच्चे बसों के अंदर की जगह बाहर छत में जगह पा पाते हैं रास्ते में न जाने कितने विद्युत तार और पैड पड़ते होंगे पर किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है जब सवाल हुए तो परिवहन विभाग अब कार्रवाई की बात कर रहा है हालांकि इस तरह बच्चों को बस में इस तरह देखना इनके विभाग के लिए आम थ

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