सोमवार को मंडला कलेक्ट्रेट रोड में गरीबी रेखा कार्ड में अनियमितता की जांच न होने से पत्रकार कमलेश मिश्रा भूख हड़ताल पर बैठ गए। उनका आरोप है कि गरीबों का हक मारा जा रहा है।
जिस जिले में खुद पत्रकार को 41 डिग्री तापमान में भूख हड़ताल पर बैठना पड़े, वहां के प्रशासन और उसकी जनकल्याणकारी योजनाओं की हालत क्या होगी यह समझा जा सकता है अमूमन पत्रकार का कार्य व्यवस्था की खामियों को उजागर करना होता है, लेकिन जब शिकायतें और खबरें प्रकाशित होने के बावजूद भी जिम्मेदार अधिकारियों के कानों पर जूं तक न रेंगें, तो यह साफ संकेत होता है कि सिस्टम पूरी तरह जर्जर हो चुका है।
पत्रकार बैठा भूख हड़ताल में बीपीएल कार्ड की जांच का मामला
मामला मंडला जिले का है यंहा के महाराजपुर क्षेत्र में गरीबी रेखा कार्ड (बीपीएल) में भारी अनियमितताएं सामने आई हैं।पत्रकार कमलेश मिश्रा ने इस विषय में आरटीआई के माध्यम से जानकारी मांगी, तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जानकारी के अनुसार, ऐसे लोगों के नाम भी गरीबी रेखा कार्ड सूची में दर्ज हैं, जिनके पास दो या उससे अधिक मकान हैं। जबकि वास्तव में जरूरतमंद लोग आज भी राशन कार्ड और योजनाओं के लाभ के लिए भटक रहे हैं। कमलेश मिश्रा का कहना है कि महाराजपुर क्षेत्र में बीपीएल कार्ड और पीएम आवास योजना में स्वीकृत आवासों की जांच चाहते हैं। कमलेश मिश्रा ने संबंधित अधिकारियों को बीते सप्ताह शिकायत भी की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। मजबूर होकर उन्होंने भूख हड़ताल का रास्ता चुना, जिससे प्रशासन की नींद टूट सके।
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गौरतलब है कि गरीबी रेखा कार्ड धारकों को हर महीने मुफ्त राशन, आवास योजना, आयुष्मान कार्ड सहित कई सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है। ऐसे में यदि यह कार्ड गलत लोगों को मिल जाएं, तो वास्तविक जरूरतमंदों के अधिकारों पर डाका पड़ता है और यही मंडला जिले में हो रहा है। हर तहसील में ऐसे लोगों के नाम जुड़े हुए हैं जो शासन को योजना का लाभ उठाकर चूना लगा रहे हैं।

भूख हड़ताल की खबर फैलते ही पत्रकारों की टीम प्रदर्शन स्थल पर पहुंच गई, जबकि दूसरी टीम ने डिप्टी कलेक्टर से मिलकर पूरे मामले की गंभीरता से अवगत कराया है। विपक्षी पार्टियों ने भी पत्रकार को समर्थन दे दिया है। वरिष्ठ पत्रकार सुधीर उपाध्याय ने पूरे मामले में कहा कि एक व्यक्ति दस्तावेज को सामने रख कर आरोप लगा रहा है तो कम कम जांच तो करनी चाहिए आश्चर्य है कि इतने गंभीर मामले में जिम्मेदार मौन क्यों हैं। वहीं नीरज अग्रवाल ने कहा कि इस मामले में जिला के सभी पत्रकार कमलेश मिश्रा के साथ है इस मामले की निष्पक्ष जांच जरूरी है।
आश्चर्य की बात है कि भीषण गर्मी में पेड़ के नीचे भूख हड़ताल पर बैठे पत्रकार तक शाम तक कोई भी प्रशासनिक अधिकारी नहीं पहुंचा है। वहीं दूसरे तरफ पत्रकार एक एक कर कमलेश मिश्रा से मिल कर हौसला अफजाई कर रहे हैं।
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